एनटीपीसी की सहयोगी बीजीआर कंपनी की तानाशाही रवैए से स्थानीय विस्थापित-प्रभावित कामगारों में रोष

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तौफीक अंसारी जागता झारखंड हजारीबाग

हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड में कोल खनन का कार्य कर रही एनटीपीसी की सहयोगी बीजीआर माइनिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड के द्वारा सरकारी नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।पांडु गांव में खनन शुरू करने से पहले बीजीआर के अधिकारी सत्या राम और श्रीनिवास राव के द्वारा जितनी भी वादे की गई थी वे सभी वादे झूठा साबित हुआ, यहां के विस्थापित प्रभावित कामगारों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। काफी भागदौड़ और सालों भर बीजीआर ऑफिस का चक्कर लगाने के बाद जितने भी स्थानीय कामगारों को कंपनी ने रोजगार दिया है सभी से काम तो अर्धकुशल,कुशल एवं अतिकुशल श्रेणी का करवाया जा रहा परन्तु वेतन अकुशल श्रेणी का दिया जा रहा है जिससे इस महंगाई के दौर में दस से बारह हजार रुपए में परिवार का भरण-पोषण और बच्चों की शिक्षा एवं स्वस्थ से संबंधित कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।वहीं दूसरी ओर बीजीआर में बाहरी वर्करों का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है उन्हें समान काम के एवज में चालीस हजार से ऊपर वेतन दिया जा रहा है भले ही उनके पास कोई डिग्री न हो फिर भी सभी उच्च पद पर बाहरी तेलुगु भाषी का ही दबदबा है हिंदी भाषी स्थानीय विस्थापित-प्रभावित को हर तरह से अनदेखा किया जा रहा,स्थानीय विस्थापित-प्रभावित युवाओं को बड़ी मुश्किल से दस से बारह हजार रुपए की रोजगार देकर कहीं न कहीं आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है। कई बार स्थानीय कामगारों ने वेतन बढ़ाने को लेकर कंपनी के अधिकारियों से बात करना चाहा लेकिन बीजीआर प्रबंधन ने केस करने की धमकी देकर यहां के वर्करों को डराने-धमकाने का काम करती है जिससे यहां के विस्थापित-प्रभावित कामगार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

जनप्रतिनिधि भी कंपनी के मनमानी को रोकने में रहे नाकाम

जब से एनटीपीसी की एमडीओ बीजीआर माइनिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड ने यहां कोल खनन शुरू किया तब से इनके मनमानी को रोकने के लिए आज तक न तो सांसद-विधायक रुचि दिखाए न ही कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि कामगारों के लिए मुखर होकर आवाज उठाया, कुछ महीने पूर्व ही इस कंपनी ने एक गरीब किसान का घर बिना मुआवजा विस्थापन के ही ध्वस्त कर दिया था इस तरह की दबंगई इस कम्पनी का दिनचर्या बन चुका है।इससे पहले बीजीआर कंपनी टंडवा में भी कोल खनन का कार्य कर रही थी परंतु टेरर फंडिंग का खुलासा होने पर एनआईए के रडार में थी जिसके बाद वहां से ब्लैक लिस्ट करके हटा दिया गया था लेकिन पुनः केरेडारी क्षेत्र में जब से कोल खनन का कार्य शुरू किया है तब से यहां के लोगों का जीना दुश्वार हो चुका है घनी आबादी के निकट ब्लास्टिंग से लोगों की सांसे सहम जाती है रास्ते में कभी भी पानी का छिड़काव नहीं होने से धूल कण से लोग बड़ी बड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे है।

विगत कुछ महीने पहले पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने स्थानीय विस्थापित-प्रभावित कामगारों के हक अधिकार की मांग को लेकर  अनिश्चितकालीन समय के लिए माइंस बंद करने की चेतावनी दी थी लेकिन न तो दुबारा कोई वार्ता हुआ न ही आंदोलन इससे बीजीआर का तानाशाही दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अब इस क्षेत्र में नए विधायक रोशन लाल चौधरी चुनाव जीत कर आए है अब देखना यह होगा कि कोल कंपनियों की तानाशाही रवैए के खिलाफ आवाज उठाकर विस्थापित-प्रभावित रैयतों को हक-अधिकार दिलाने में कामयाब हो पाते है या फिर पूर्व की जनप्रतिनिधियों की तरह कंपनी के सामने नतमस्तक साबित होते हैं।

Touphik Alam
Author: Touphik Alam

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