कांग्रेस के रामेश्वर उरांव ने दर्ज की ऐतिहासिक जीत, काम आई हेमंत सोरेन की रणनीति

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जागता झारखंड ब्यूरो चीफ  मीर उबैद उल्लाह  लोहरदगा

लोहरदगा : इंडियन नेशनल कांग्रेस ने 2024 के विधानसभा आम चुनाव में लोहरदगा से ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। पिछले दो दशकों के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस का यह सबसे बड़ा जीत है। लोहरदगा से निवर्तमान विधायक, झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री डा रामेश्वर उरांव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आजसू पार्टी की नीरू शांति भगत को 34670 वोटों से हराया। लोहरदगा सीट से दोबारा जीत दर्ज करने का श्रेय हासिल किया।

लोहरदगा विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. रामेश्वर उरांव जीते। डॉ. उरांव को 113507 वोट मिले। एनडीए गठबंधन के आजसू पार्टी प्रत्याशी नीरू शांति भगत को 78837 वोट मिले। डॉ. उरांव 34670 वोटों के अंतर से जीते। डॉ. उरांव को पोस्टल बैलेट में भी सबसे ज़्यादा वोट मिले। मतदाताओं ने कांग्रेस पर भरोसा जताया।

लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस लोहरदगा विधानसभा से लगातार दो बार जीत कर हासिल करने का गौरव प्राप्त किया है। रामेश्वर उरांव को 1,13,507 मत मिले, जबकि नीरू शांति भगत को सिर्फ 78,837 वोटिंग मिले जीत का अंतर 16.20 प्रतिशत रहा। 2009 में जीत का अंतर 0.96 प्रतिशत था। 2014 में जीत सिर्फ 0.4 प्रतिशत था। 2019 में यह बढ़कर 10.80 प्रतिशत जीत का अंतर हो गया था। इसलिए लिहाज से 2024 में जीत का अंतर काफी बड़ा हो गया।
रामेश्वर उरांव को 53.05 प्रतिशत और नीरू शांति भगत को 36.85 प्रतिशत मत हासिल हुए। डॉ रामेश्वर उरांव की जीत में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्यसभा के पूर्व सांसद धीरज प्रसाद साहू का बड़ा हाथ रहा। इसके अलावा मंइया योजना, पुराने बिजली बिल को माफ करने और किसानों की कर्ज माफी भी जीत का कारण बना है।

चुनाव में पोस्टल बैलेट की गिनती में भी डॉ. उरांव 1915 वोट पाकर आगे रहे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार रामेश्वर लोहरा रहे जिन्हें केवल 4010 वोट ही मिल पाए। नोटा को कुल 908 वोट मिले। चुनाव से पहले मुकाबला कांटे का था और किसी को भी इतने बड़े अंतर से जीत की उम्मीद नहीं थी। लेकिन 34670 वोटों के अंतर से डॉ. उरांव की जीत ने साबित कर दिया कि जनता ने चुपचाप ईवीएम का बटन दबाकर राज्य सरकार के समर्थन में अपना फैसला सुना दिया है।


लोहरदगा के कुल 2,13,940 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इनमें 3519 पोस्टल वोट भी शामिल है।आठ प्रत्याशियों के बाद नौवें नंबर पर नोटा का वोट रहा। कुल 908 मत नोटा को मिले हैं।

किस दल के प्रत्याशी को मिले कितने वोट
क्रम संख्या प्रत्याशी/ दल मिले वोट
1. नीरू शांति भगत आजसू पार्टी 78,837
2. यशपाल भगत बहुजन समाज पार्टी 1354
3. रामेश्वर उरांव इंडियन नेशनल कांग्रेस 113507
4. अनिल कुमार भगत झारखंड पीपुल्स पार्टी 1453
5. अवधेश उरांव भारत आदिवासी पाटी 3159
6. किशोर उरांव जेएलकेएम 1300
7. पवन तिग्गा लोकहित अधिकार पार्टी, झारखंड 767
8. बिहारी भगत पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया, डेमोक्रेटिक 704
9. राजपति देवी बीजेजेपी 547
10. बिरेंद्र उरांव स्वतंत्र 797
11. बृज मोहन उरांव स्वतंत्र 448
12. रमेश उरांव स्वतंत्र 656
13. राजेश लोहरा स्वतंत्र 968
14. रामेश्वर लोहरा स्वतंत्र 4010
15. संतोष भगत स्वतंत्र 747
16. सनीया उरांव स्वतंत्र 2002
17. सोमा उरांव स्वतंत्र 1176


लोहरदगा में क्यों जीती कांग्रेस?
हेमंत सोरेन के नेतृ्व में चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने लोहरदगा में आदिवासी और सामाजिक कल्याण के मुद्दों को प्राथमिकता दी।
मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से भाजपा और एनडीए की नीतियों को खारिज कर हेमंत सोरेन के नेतृत्व को समर्थन दिया।
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की लोकप्रियता और एकजुटता इस जीत का प्रमुख कारण रही।
लोहरदगा चुनाव के प्रमुख बिंदु:
डॉ. रामेश्वर उरांव की जीत:
उन्होंने कुल 113507 वोट हासिल किए।
यह जीत 34670 वोटों के अंतर से हुई, जो लोहरदगा के चुनावी इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि है।
पोस्टल बैलेट में भी डॉ. रामेश्वर ने 1915 वोट पाकर बढ़त बनाई।
आजसू पार्टी की हार:
एनडीए गठबंधन के आजसू प्रत्याशी नीरू शांति भगत को 78837 वोट मिले।
हार का अंतर दर्शाता है कि मतदाताओं ने कांग्रेस पर भरोसा जताया।
लोहरदगा में नोटा और निर्दलीय उम्मीदवार को कितने वोट
नोटा को कुल 908 वोट मिले, जो यह दर्शाता है कि कुछ मतदाता सभी उम्मीदवारों से असंतुष्ट थे।
निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन कोई प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर सके।
लोहरदगा में क्यों जीती कांग्रेस?
हेमंत सोरेन के नेतृ्व में चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने लोहरदगा में आदिवासी और सामाजिक कल्याण के मुद्दों को प्राथमिकता दी।
मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से भाजपा और एनडीए की नीतियों को खारिज कर हेमंत सोरेन के नेतृत्व को समर्थन दिया।
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की लोकप्रियता और एकजुटता इस जीत का प्रमुख कारण रही।
लोहरदगा सीट का इतिहास
उसके नेता सुखदेव भगत यहां से दूसरी बार विधायक चुने गए। 2019 में कांग्रेस पार्टी से रामेश्वर उरांव इस सीट से विधायक बने। यह सीट लोहरदगा जिला और लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में आती है। लोहरदगा जिले को 1983 में रांची से अलग कर बनाया गया। मान्‍यता है कि जैन धर्मावलंबियों के भगवान महावीर इस स्‍थान पर कुछ समय के लिए निवास किए थे। इस कारण लोहरदागा नाम पड़ा था। मुगल शासक अकबर पर लिखी पुस्तक आइन-ए-अकबरी में भी इस जिले का जिक्र किस्मत-ए-लोहरदगा के रूप में मिलता है।
Jagta Jharkhand
Author: Jagta Jharkhand

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