जागता झारखंड संवाददाता सिमडेगा।
सिमडेगा: भारत सरकार के नीति आयोग और एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) ने बाल विवाह, बाल मजदूरी, बच्चों की ट्रैफिकिंग और यौन शोषण जैसी समस्याओं से जूझ रहे देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण को लेकर एक साझेदारी की है। यह साझेदारी देश के 104 प्रखंडों और 15,000 गांवों को बाल विवाह मुक्त घोषित करने के उद्देश्य से की गई है। इस पहल के तहत नीति आयोग और एवीए बच्चों के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेंगे और स्थानीय स्तर पर संवेदनशील परिवारों को सरकारी जनकल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इस साझेदारी का समर्थन करते हुए छोटानागपुर कल्याण निकेतन ने कहा कि यह कदम उनके प्रयासों को नई दिशा और गति प्रदान करेगा। छोटानागपुर कल्याण निकेतन, जो सिमडेगा में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम कर रहा है, ने वादा किया है कि वे जिले को बाल विवाह, बाल मजदूरी, और बच्चों के खिलाफ अन्य अपराधों से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। प्रियंका सिन्हा, छोटानागपुर कल्याण निकेतन की निदेशक ने कहा, “हम ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत सिमडेगा को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। एवीए और नीति आयोग के साथ यह साझेदारी हमारे प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाएगी। हम बच्चों को एक सुरक्षित और पोषित वातावरण में पल्लवित होने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”इस साझेदारी के तहत विशेष ध्यान उन बच्चों पर होगा जो बाल विवाह, बाल मजदूरी, या शोषण के शिकार हो सकते हैं। इन्हें शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए जाएंगे, साथ ही हाशिये पर रहने वाले परिवारों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इस पहल में पंचायत स्तर पर विवाहों की निगरानी की जाएगी और बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए “सुरक्षित बाल ग्राम” बनाए जाएंगे। एवीए के कार्यकारी निदेशक, धनंजय टिंगल ने कहा, “हम इस साझेदारी से गर्व महसूस कर रहे हैं और इस दिशा में उठाए गए कदमों को समाज के सबसे कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण के रूप में देख रहे हैं। हमारा लक्ष्य 2025 के अंत तक इन प्रखंडों को बाल विवाह मुक्त बनाना और इस मिशन को सफल बनाना है।”इस पहल का उद्देश्य सरकारी और नागरिक समाज संगठनों के सहयोग से बच्चों के शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण को सुनिश्चित करना है। नीति आयोग, एवीए और स्थानीय समुदायों के प्रयासों से बाल विवाह और अन्य बच्चों के अधिकारों से जुड़ी समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
