मुजफ्फर हुसैन,जागता झारखण्ड,ब्यूरो रांची :पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार और झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के निर्देशानुसार ओरमांझी प्रखंड के बरवे पंचायत सचिवालय में पेसा कानून (पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम), 1996 की 28वीं वर्षगांठ के अवसर पर पेसा दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को पेसा कानून के बारे में जागरूक करना और इसके महत्व को समझाना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश उरांव, ग्राम प्रधान महासंघ, झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष ने की। इस अवसर पर पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, उप मुखिया, पंचायत सचिव, रोजगार सेवक, स्वयंसेवक और ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यशाला में रमेश उरांव ने पेसा कानून के ऐतिहासिक महत्व और इसके प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पेसा कानून 24 दिसंबर 1996 को भूरिया कमेटी की सिफारिशों के आधार पर अनुसूचित क्षेत्रों में लागू किया गया था। यह कानून भारत के 10 राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों में लागू है।
1:अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अध्यक्षता केवल पारंपरिक ग्राम प्रधान(जैसे मानकी, मुंडा आदि)कर सकते हैं।
2:निर्वाचित मुखिया, वार्ड सदस्य या अन्य व्यक्ति ग्राम सभा की अध्यक्षता नहीं कर सकते।
3. गैर-अनुसूचित क्षेत्रों में निर्वाचित मुखिया ग्राम सभा की अध्यक्षता कर सकते हैं।
4. यह कानून ग्राम सभा को सशक्त बनाता है और प्राकृतिक संसाधनों पर ग्रामीणों के अधिकार सुनिश्चित करता है।
रमेश उरांव ग्राम प्रधान महासंघ,झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष ने बताया कि भारत के 10 राज्यों में से 9 राज्यों ने पेसा कानून को पूर्ण रूप से लागू कर दिया है।लेकिन झारखंड में यह अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है।माननीय सुप्रीम कोर्ट और झारखंड के उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पेसा कानून शीघ्र लागू करने का निर्देश दिया है। पंचायती राज विभाग ने इसके लिए प्रारूप तैयार कर लिया है और विधि विभाग से इसकी स्वीकृति भी मिल चुकी है।रमेश उरांव ग्राम प्रधान महासंघ, झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष ने हेमंत सोरेन सरकार और इंडिया गठबंधन की सरकार से अपील की कि पेसा कानून की नियमावली को कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव लाकर पारित किया जाए या विधानसभा में चर्चा के माध्यम से इसे लागू किया जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा, पेसा कानून ग्रामीण समुदाय को सशक्त बनाता है। इससे ग्राम सभा के माध्यम से पारंपरिक व्यवस्थाएं मजबूत होंगी और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का अधिक लाभ मिलेगा। कार्यशाला में रमेश उरांव ग्राम प्रधान महासंघ, झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष ने यह भी बताया कि ग्राम सभा को कैसे मजबूत किया जा सकता है और पारंपरिक ग्राम प्रधानों की भूमिका को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ अधिकतम ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए ग्राम सभा को अहम भूमिका निभाने पर जोर दिया।
इस अवसर पर पंचायत के मुखिया अनीता लिंडा, ग्राम प्रधान कमल मुंडा, पंचायत सचिव राहुल कुमार, रोजगार सेवक शैलेंद्र कुमार, पंचायत समिति सदस्य संगीता देवी, वार्ड सदस्य सोना लाल महतो, किरण देवी, योगिता देवी, अरविंद महतो, राजेश नायक, सूरज उरांव, संजय नायक, संतोषी देवी, शमशाद अंसारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यशाला में ग्रामीणों ने भी पेसा कानून से संबंधित सवाल पूछे और उनकी शंकाओं का समाधान किया गया।