डॉ कृपा शांकर अवस्थीसम्पादक:जागता झारखण्ड झारखण्ड के अंगिभूत कोलेजों के पीड़ित इंटरकर्मियों के धरने के आज लगभग डेढ़ माह बीत गए, इतने दिनों में झारखण्ड के माननीय राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, नेता विपक्ष से लेकर लगभग विवि के सभी कुलपति माननीयों को आंदोलनरत कर्मियों नें कई कई बार ज्ञापन भी देते रहे,परन्तु उनकी समस्याओं पर किसी के कान पर जूँ तक़ नहीँ रेंगी. एकमात्र रांची विवि के माननीय कुलपति महोदय ने ही क़ल उन्हें वार्ता का समय दिया, मग़र नतीजा कूछ नहीँ निकाल पाया क्योंकि एक तरफ लगभग एक डेढ़ माह से सड़क पर भीषण गर्मी, धुप में धरने पर बैठे इंटर कर्मी माननीय के तीखे व्यवहार से उबल पड़े तो वहीं माननीय कुलपति महोदय की भाषा भी पद की मर्यादा के अनुकूल नहीँ थी,जो कर्मी वर्षों से पीड़ित,प्रताड़ित और आभावग्रस्त हैं,उनसे सहानुभूति पूर्वक वार्ता तो दूर, सभी कर्मियों को धमकाने लगे, यही माननीय पिछले वर्ष 4 मई 2024को साफ कह चुके थे, रांची विवि के अंगिभूत कोलेजों में इंटर की पढ़ाई नहीँ होंगी. दैनिक जागरण का वह अंश संलग्न है. ऐसे माननीय के बहुत पहले लगभग 2019 में पाकुड़ जिले के एकमात्र अंगिभूत केकेएम कॉलेज में एक नवनियुक्त प्रभारी नें तो इंटरकर्मी शिक्षकों और लगभग सारे कर्मचारियों को न्यूनतम मानदेय भी भुगतान करना बंद कर दिया, ताकि सभी ऐसे कर्मचारी महाविद्यालय में सेवा देना स्वतः छोड़ भाग जाएं, यह स्तिथि तब ज़ब वर्ग 7,से लेकर मैट्रिक तक़ की सारी इंटर कौंसिल की परीक्षाओं और विवि की डिग्री परीक्षाओं का सारा दायित्व इन्हीं कर्मचारियों के जिम्मे सम्पन्न किये जाते रहे थे क्योंकि उक्त महावि के अनेक नियमित नियुक्त कर्मचारी सेवानिवृत होते जा रहे थे, जहां बमुश्किल दो तीन स्टाफ ही बचे रह गए हैं. सरकार ने इनके खाली पदों पर आजतक नई नियुक्ति नहीँ की है. इस गैरजिम्मेदाराना कर्यवाही का परिणाम यह हुआ कि अत्यंत निर्धन एक कर्मठ सेवक श्री किशोर हरिजन, महावि छोड़ शहर की न्गेरपालिका में सेवा देने लगा, तो दूसरा सेवक शुभाशीष यादव आभाव में, बिना इलाज गुजर गया। विवि के वर्तमान प्रभारी कुलपति महोदय ज़ब ज़ब महावि के प्रांगण में आए सारे शिक्षक तथा कर्मियों नें उन्हें दो दो बार इस बाबत लिखित ज्ञापन भी दिए, परन्तु इंटर कौंसिल की असंवेदनशीलता के कारण उक्त माननीय भी जैसे विवश रह गए हों, उन्होंने अपने द्वारा नियुक्त सबसे कनीय प्रभारी शिक्षक से कभी कूछ पूछा तक़ नहीँ कि, न्यूनतम मानदेय भी इंटर के सारे कर्मियों को दिया क्यों नहीं जा रहा है। झारखण्ड राज्य की कुछ अजीब व्यवस्था है, कोलेजों में शिक्षकों के पद वर्षों से खाली पड़े हैं, कर्मचारियों की भी बहाली तक़ नहीँ हो रही, बीएसके कॉलेज के शिक्षक अदने चतुर्थ श्रेणी सेवकों से भी अत्यन्त कम वेतन पर कार्यरत हैं. वह भी ज़ब विवि के लगभग सारे कोलेजों के शिक्षक सातवें वेतनमान ले रहे हों तब बीएसके कॉलेज के शिक्षक अब भी चौथे वेतनमान पाने को अभिशप्त हैं. ऐसी स्तिथि तब है ज़ब उनके पक्ष में माननीय उच्च न्यायालय रांची से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक़ के निर्णय हो चुके हैं, राज्य सरकार हर बार ऐसे निर्णयों के खिलाफ विशेष याचिका दायर कर देती है और ऐसी अन्यायपूर्ण स्तिथि बनी रह जाती है। राज्य के अंगिभूत कोलेजों के इंटर कर्मियों की स्तिथि इससे जरा भी भिन्न नहीँ है,इंटर फण्ड की नियमित ऑडिट, जाँच, वर्षों से लंबित है, इंटर कौंसिल को डर है कि अगर ऐसी जाँच हुई तो विगत दस, पंद्रह वर्षों से सेवारत शिक्षकों, कर्मियों को नियमित करना ही पड़ेगा, लिहाजा वह भी इनसबों को बिलबिलाते, सड़ते छोड़ निश्चिन्त पटाई हुई है, इसके आला अधिकारी बेशुमार दौलत कमाने और सुविधाएं भोगते रहने में मशगूल हैं. बीमार, आभावग्रस्त शुभाधीष यादव या किशोर हरिजन अपने भाग्य से रहे या गुजर जाए, बकाए पैसे, मुआवजे सरकार या कौंसिल क्यों देने जाए राज्यभर के छात्र बिना पढ़े पास कर दिए जाते रहेंगे, शिक्षा संस्थानों के सफल छात्र छत्राओं के प्रतिशत बनाए रखने का दायित्व संस्थानों पर सौंप दिया गया है, अकबरों में डंका पीटने की सारी व्यवस्था बना दीं गई है. प्रतियोगिता युग में भगवान भरोसे झारखण्ड शिक्षा व्यवस्था आन बान शान से दौडाई भी जा रही है, फ्री बाइज जारी है, जाने हमारे शहीदों की धरती पर ऐसे घृणित कुकर्म कबतक जारी रहेंगे, कब हमारे युवा महा वैज्ञानिकों की श्रेणी में दिखेंगे, अभी तो सारे जिम्मेदार माननीय असंवेदनशील हीं दिख रहे हैं. प्रभु किसी आंदोलनरत कर्मी को जीवन की उब और प्रताड़ना से बचाएं, उन्हें जघन्य कदम लेने से रोकें.
