मालदा डिवीजन के भागलपुर रेलखंड डिस्प्ले बोर्ड पर उर्दू शब्दों में कई त्रुटियां। नहीं जा रहा इस पर अधिकारियों का ध्यान।

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जागता झारखण्ड संवाददाता,भागलपुर,बिहार,
सईद अनवर 

पूर्व रेलवे जोन का मालदा डिविजन के तहत लगभग 109  स्टेशन, जंक्शन और हॉल्ट पड़ते हैं। हर रेलवे स्टेशन और जंक्शन पर यात्रियों की सुविधा के लिए तीन भाषाओं में हिंदी अंग्रेजी, और उर्दू कहीं-कहीं पर बांग्ला भाषा में भी लिखा दिख जाता है।और उर्दू  में प्लेटफार्मों पर जो बोर्ड तख्ती उपरोक्त भाषा के साथ लगाए गये हैं। क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान और लोगों को आसानी से समझ आ सके इसके लिए यह परंपरा ब्रिटिश हुकूमत के वक्त से ही चली आ रही है। हिंदी की तरह उर्दू  भी एक हिंदुस्तानी जुबान है जिसे एक बड़ा वर्ग बोलता और समझता है।चुकी उर्दू बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड की दूसरी राजभाषा है। इन प्रांतों एक बड़ी आबादी अल्पसंख्यक मुसलमानों की है जो उर्दू बोलते, लिखते और समझते हैं। हजारों यात्री प्रतिदिन मालदा डिविजन के भागलपुर जंक्शन से यात्रा शुरू कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। भागलपुर जंक्शन में 6 प्लेटफार्म है। इन प्लेटफार्मों पर जगह-जगह कंक्रीट की तख्ती पर उर्दू में भागलपुर जंक्शन लिखा है। लेकिन कई जगहों पर भागलपुर जंक्शन गलत ढंग से मिसाल के तौर पर ‘भागपुर जक्शन’ लिखा हुआ है। इसी तरह सुल्तानगंज जंक्शन को  ‘सुलतागंज’ कहलगांव जंक्शन को ‘काहलगांव’ सबौर स्टेशन को ‘सबर’ जमालपुर स्टेशन को ‘जमापुर’ और इसी तरह जंक्शन को ‘जक्शन’ लिखा गया है। इस तरह की गलती कि सिर्फ यह एक बानगी भर है। अमूमन मालदा डिवीजन के हर जगह पर इस तरह की त्रुटियां देखने को मिल जाएगी। लेकिन कोई बोलने टोकने वाला नहीं है। बड़े-बड़े अधिकारी से लेकर अदना अधिकारी तक इस गंभीर मामले को अनदेखी कर रहे हैं।रेलवे भारत का सबसे बड़ा प्रतिष्ठान है। ऐसे प्रतिष्ठित  सरकारी संस्थान में इस तरह से गलत लिखे जाने की वजह उर्दू के जानकार लोगों से न लिखवाना है। इससे लोगों के बीच रेलवे के प्रति  गलत संदेश पहुंच रहा है। मालदा डिविजन गलत और त्रुटि पूर्ण उर्दू शब्दों को उर्दू के जानकार लिखने वाले से डिस्प्ले बोर्ड को लिखवए।
Touphik Alam
Author: Touphik Alam

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