







जागता झारखंड ब्यूरो चीफ मीर उबैद उल्लाह लोहरदगा
लोहरदगा: रविवार सुबह शहरी इलाके में एक बड़ा हादसा हुआ है। हिंडाल्को कंपनी द्वारा की जा रही बॉक्साइड ढुलाई के दौरान करीब एक दर्जन ट्रॉली नीचे गिर गई। रोप वे से ट्रॉली के गिरने के दौरान कई लोगों की जान बच गई, अच्छी बात ये रही कि जिन जगहों पर ट्रॉली वहां उस वक्त कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था।
लोहरदगा में हिंडाल्को कंपनी के लिए बॉक्साइट ढोने वाला रोप-वे टूटने से कई ट्रॉलियां नीचे गिर गई। ने शहरी क्षेत्र से ट्रॉली हटाने की मांग की। आंदोलन और न्यायालय जाने की चेतावनी दी गई। पहले भी ट्रॉली गिरने से एक बच्चे की मौत हुई थी।
संडे होने के कारण बड़ा हादसा टला
रविवार होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं गए थे। वरना बड़ा हादसा हो सकता था। क्योंकि बच्चे इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं। 15 साल पहले भी एक ट्रॉली गिरने से एक बच्चे की मौत हो गई थी।
ट्रॉलियां गिरने के तीन घंटे बाद भी कोई कंपनी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इससे कंपनी की लापरवाही साफ़ दिखती है।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश है। वे प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। देखना होगा कि प्रशासन क्या कदम उठाता है। और हिंडाल्को कंपनी इस मामले में क्या जवाब देती है।
कनाडा की एलकेन ग्रुप ने कराया था रोपवे का निर्माण
लोहरदगा मुख्य पथ में स्थित इस रोपवे का निर्माण कनाडा की एलकेन ग्रुप द्वारा 1945-46 में शुरू किया गया था, जो 1951 में तैयार हो गया। यहां वर्ष 1939-40 में अंग्रेजों द्वारा बगडू में बाक्साइट माइनिंग का काम शुरू किया गया था।16 किलो मीटर लंबे इस रोपवे से बगडू बाक्साइट माइंस से बाक्साइट ला कर रेलवे स्टेशन के पास स्थित अनलोडिंग स्टेशन में खडी मालगाड़ी में गिराया जाता था जो मुरी स्थित इंडाल कंपनी की फैक्ट्री में जाती थी।वर्ष 2004 मे इंडाल कंपनी को हिंडाल्को ने खरीद लिया और ये रोपवे भी हिंडाल्को के अधीन आ गया।
15 साल पहले हुए हादसे से नहीं लिया गया कोई सबक
बता दें कि इस रोपवे की स्थापना इंडाल कंपनी के द्वारा ब्रिटिश काल में हुआ था।बाद में इसे हिंडाल्को ने खरीद लिया।इसके बाद से हिंडाल्को ही रोपवे का परिचालन करा रही है। उस वक्त छोटी ट्रॉली से बॉक्साइट ढुलाई होती थी और इसकी ऊंचाई भी बेहद कम थी।लेकिन विगत कुछ सालों से हिंडालको कंपनी ने अपने लालच से ट्रॉली की साइज बड़ी कर दी और सुरक्षा का नाम पर वही पुराना ढर्रा अपना रही है।स्थानीय लोगों ने बताया कि कंपनी ने 15 साल पहले हुए हादसे से कोई सबक नहीं लिया और वहीं पुरानी प्रक्रिया बरकारार है।
