जागता झारखंड संवाददाता शिकारीपाड़ा दुमका
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से शिकारीपाड़ा प्रखंड में डायरिया महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। महामारी के चपेट में आकर कुछ लोगों मृत्यु भी हो चुकी है| दर्जनों लोग गंभीर रूप से बीमार हैं परन्तु उचित समय में इलाज नहीं मिलने के कारण अब तक चार से पांच लोगों की जान चली गई| स्थानीय लोगों ने बताया कि एक और हम गरीब लोग महामारी के चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं और मारे जा रहे हैं लेकिन सिविल सर्जन से लेकर जिला के उच्च अधिकारी अब तक निरीक्षण करने तक नहीं आए ना ही स्थिति का जायजा लेने पहुंचे। मामले में हैप्पी क्लब के अध्यक्ष विकास कुमार भगत व मीडिया प्रभारी शिवम कुमार भगत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि
प्रभावित पंचायत में शिविर लगाया जाए| शिकारीपाड़ा क्षेत्र के सभी गांव के चापाकलों एवं कुएं के पानी की शुद्धता की जांच हो, विशेष कर प्रभावित क्षेत्र में जांच की जाए| डोभा, झरना का पानी पीने पर रोक लगायी जाए| पीड़ित परिवारों की खान-पान की जांच की जाए| प्रभावित पंचायत की साफ़ सफाई की जाए| शिकारीपाड़ा के बाजार क्षेत्र शिकारीपाड़ा, बरमसिया, सरसड़गाल, पताबाड़ी, पिनरगड़िया की साफ सफाई की स्थिति की जांच की जाए| जमे कचरे को हटाया जाए क्योंकि डायरिया गंदगी के कारण भी होती है| शिकारीपाड़ा प्रखंड में सैकड़ो जल मीनार एवं चापाकल खराब है| जल मीनार खराब होने कारण मजबूरी में ग्रामीणों को डोभा का दूषित पानी या झरना का पानी पीना पड़ता है, जिस पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारी संवेदनहीन बने हुए हैं| अभियंता कई महीनो से क्षेत्र में दिखाई भी नहीं दे रहे हैं।बरसात का पानी पीना पड़ता है| जिससे ग्रामीण डायरिया के चपेट में आ रहे हैं| खराब जल मीनार की मरम्मत की जाए| शिकारीपाड़ा प्रखंड में ग्राम सभा एवं आम सभा के माध्यम से डायरिया पर जागरूकता अभियान चलाया जाए| विद्यालय एवं सरकारी भवनों एवं पंचायत भवन में डायरिया से बचाव हेतु जागरूकता पोस्टर लगाया जाए एवं दीवार लेखन का कार्य किया जाए| विद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाया जाए| शिकारीपाड़ा क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए जाए| प्रभावित पंचायत में डोर टू डोर डायरिया से बचाव हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाए| प्रभावित गांवों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़ाकाव करवाया जाए एवं फागिंग करवाया जाए| दूषित पेयजल निकलने वाले चापाकल एवं कुआं को सील किया जाए| अगर इन बातों पर स्वस्थ विभाग,पेयजल एवं स्वच्छता विभाग एवं जिला प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया हम ग्रामीण आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।