सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान को (जेआरसी) और बनवासी विकास आश्रम ने समर्थन दिया

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जागता झारखंड ब्यूरो संतोष कुमार जामताड़ा

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के उद्घाटन के मौके पर जिला प्रशासन ने बाल विवाह के खिलाफ काम कर रहे गैरसरकारी संगठन बनवासी विकास आश्रम के साथ मिलकर जागरूकता रैलियों का आयोजन किया और लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई।बनवासी विकास आश्रम बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 400 से भी ज्यादा जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी सदस्य है। इस मौके जामताड़ा जिले के सभी प्रखण्डो के सभागार में जामताड़ा, नारायणपुर, कर्माटॉड, नाला, कुंडहित, सभी कस्तुरबा विद्यालय, पंचायत सभागार, स्कूल में, महिला समुहों में हुए समारोह में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के उपलक्ष मे कायक्रम किया गया एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पदाधिकारी अंजु पोद्दार ने स्कूली बच्चों, महिलाओं और पंचायत प्रतिनिधियों व अन्य को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। जिले में जगह-जगह हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के अलावा बाल विवाह पीड़िताओं ने भी भागीदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली।यह कार्यक्रम देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में किया गया, जिसका उद्घाटन 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने किया।इस दौरान उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस मौके पर बाल विवाहों की सूचना व शिकायत के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी शुरू किया गया। इस मौके पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अंजु पोद्दार ने कहा कि बाल‌ विवाह को खत्म करने के लिए हम सबको आगे आना होगा तथा बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को जन-जन तक पहुंचाना होगा। इस राष्ट्रव्यापी अभियान और जमीन पर इसके असर की चर्चा करते हुए बनवासी विकास आश्रम के निदेशक सुरेश कुमार शक्ति ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में बाल विवाह के खात्मे के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया। अभियान इस बात का सबूत है कि सरकार इस सामाजिक बुराई की गंभीरता से अवगत है। आज भी देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है जो न सिर्फ जीवनसाथी चुनने के उनके अधिकार का हनन है बल्कि इससे लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ रोजगार और आर्थिक निर्भरता की उनकी संभावनाओं पर भी बेहद बुरा असर होता है। सरकार की योजना इस अभियान में सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने की है और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन होने के नाते हम इसमें पूरी तरह साथ हैं। वर्षों से बाल विवाह के खिलाफ काम करने के नाते हम भली भांति जानते हैं कि समग्र और समन्वित प्रयासों के बिना यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। लेकिन अब हमें विश्वास है कि सरकार और नागरिक समाज के साझा प्रयासों से भारत 2030 से पहले ही बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल कर सकता है।
Touphik Alam
Author: Touphik Alam

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