हेलमेट वितरण और जागरूकता अभियान में फर्क, सरकार और समाजसेवी की भूमिका पर उठे सवाल

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जागता झारखंड ब्यूरो पाकुड़: सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा वाहन जांच और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों से भारी जुर्माना वसूला जाता है, लेकिन इस बीच समाजसेवी और पूर्व एनडीए नेता अज़हर इस्लाम ने अपनी विधानसभा क्षेत्र पाकुड़ में एक अलग पहल की है। जहां सरकार का ध्यान केवल जुर्माने पर है, वहीं अज़हर इस्लाम ने बाइक सवारों को मुफ्त हेलमेट वितरण करके सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का कदम उठाया है। सरकार की ओर से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर लाखों रुपये का जुर्माना वसूला जाता है, लेकिन जागरूकता की बात करें तो केवल गुलाब के फूल और मालाओं से लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। ठीक इसके विपरीत, अज़हर इस्लाम ने बिना किसी प्रचार प्रसार के खुद से सैकड़ों हेलमेट बांटे, ताकि लोग सड़क पर सुरक्षित रहें और किसी दुर्घटना से बच सकें। अज़हर इस्लाम का यह कदम न केवल उनकी समाजसेवा की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकार द्वारा लगाये जाने वाले जुर्माने से ज्यादा जरूरी लोगों की सुरक्षा और जागरूकता नहीं है? सरकारी अभियानों में आमतौर पर केवल जुर्माने और कानूनी दायित्वों की बात की जाती है, लेकिन समाजसेवी अज़हर इस्लाम के प्रयास यह साबित करते हैं कि जागरूकता फैलाने के लिए सरकारी नीतियों से कहीं ज्यादा व्यक्तिगत पहल और समर्पण की आवश्यकता होती है। यह कदम न सिर्फ अजहर इस्लाम की लोकप्रियता को बढ़ाता है, बल्कि उनकी पहचान एक ऐसे नेता के रूप में भी बनाती है, जो लोगों की मदद करने के लिए बिना किसी लाभ के काम करता है। हेलमेट के वितरण से उनकी कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि बाइक चलाने वाले लोग सड़क पर सुरक्षित रहें और उन्हें किसी भी दुर्घटना से बचाया जा सके। इस मुद्दे पर जब एक बाइक सवार ने अपनी बात रखी, तो उन्होंने सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा कि “सरकार सिर्फ जुर्माना वसूलने में लगी है, लेकिन जागरूकता के नाम पर गुलाब के फूल और माला पहनाकर लोगों को नहीं बचाया जा सकता।” वहीं दूसरी ओर, उन्होंने अज़हर इस्लाम को ‘जनता का दाता’ बताया और कहा कि उनका यह कदम किसी सरकारी फाइन से ज्यादा कारगर साबित होगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार को जुर्माना वसूलने के बजाय लोगों को सही तरीके से जागरूक करने और उनके जीवन की सुरक्षा के लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए, जैसा अज़हर इस्लाम ने किया। अज़हर इस्लाम का यह कदम निश्चित रूप से एक उदाहरण है, जो हमें यह बताता है कि समाज के प्रति जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है। सरकार और समाजसेवियों के मिलजुल कर काम करने से ही सड़क सुरक्षा को लेकर सही जागरूकता फैलाई जा सकती है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सिर्फ जुर्माने से कुछ नहीं होगा, जागरूकता और सही दिशा में किए गए प्रयासों से ही हम सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं और लोगों की जान बचा सकते हैं।
Touphik Alam
Author: Touphik Alam

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