25 हजार ग्रामीणों की जिंदगी का सवाल: रेलवे प्रशासन की अनदेखी से उठे आंदोलन के स्वर

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें


मो अमजद हुसैन ब्यूरो चीफ जागता झारखंड देवघर
मधुपुर : मधुपुर-गिरिडीह रेलवे दोहरीकरण परियोजना के चलते देवघर जिले के हजारों ग्रामीणों की समस्याएं चरम पर पहुंच गई है।बड़ा नारायणपुर,सुग्गापहाड़ी,पथरिया,पामरचक, भलुआपहाड़ी,नावाडीह, उदयपुरा, पूर्णडीह और दुधानी जैसे गांवों के लोग हर दिन रेलवे लाइन पार करने में भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।इन क्षेत्रों के करीब 25हजार निवासी रेलवे प्रशासन की अनदेखी और असुविधाओं के चलते अब आंदोलन के लिए मजबूर हो गए हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे के रिकॉर्ड में गेट संख्या 3 को एक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग के रूप में दिखाया गया है।लेकिन हकीकत यह है कि न तो यहां कोई गेट है,न ही सुरक्षा का कोई इंतजाम।रेलवे ट्रैक पार करना ग्रामीणों के लिए जानलेवा जोखिम बन चुका है।ग्रामीणों ने रेलवे पोल संख्या 5/4और 5/6 के बीच मौजा नावाडीह के पास स्थित जल निकासी कल्वर्ट पर अंडरपास बनाए जाने की मांग उठाई है।यदि अंडरपास संभव नहीं है, तो नबाब मोड़ के पास एक स्थायी रेलवे समपार फाटक बनाकर उनकी समस्या का समाधान किया जा सकता है।ग्रामीणों ने दिनांक 06 दिसंबर को रेलवे और जिला प्रशासन सीओ यामुन रविदास को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याओं का समाधान मांगा था।बावजूद इसके अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की इस अनदेखी से आक्रोशित ग्रामीणों ने [जाम की तिथि] को सुबह 10 बजे से रेलवे ट्रैक और मुख्य सड़क पर जाम लगाने की घोषणा की है। “हमारे लिए रेलवे ट्रैक पार करना रोज मौत को गले लगाने जैसा हो गया है।अगर हमारी मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो आंदोलन ही हमारा आखिरी विकल्प होगा।इस आंदोलन में समाजसेवी और राजनीतिक नेताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है।मौके पर जिला परिषद सदस्य फारूक अंसारी, मुखिया खेबर शेएख,पूर्व मुखिया प्रतिनिधि सदरे आलम,जेएमएम अल्पसंख्यक जिला मोर्चा अध्यक्ष अबू तालिब अंसारी, युवा मोर्चा अध्यक्ष अख्तर अंसारी,नसिम अंसारी,समाज सेवी मोबीन अहमद,मोहम्मद तजमुल अंसारी, भाजपा प्रखंड महामंत्री मोहन यादव, कासीम अंसारी, करिम अंसारी, और अन्य कई स्थानीय नेता व सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।क्या रेलवे प्रशासन और सिविल प्रशासन 25 हजार ग्रामीणों की जान को लेकर इतनी लापरवाह बना रहेगा।या फिर जाम और आंदोलन के बाद ही कोई कदम उठाएगा सवाल यह है कि कब तक ग्रामीणों को अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।प्रशासन के पास अब समय कम और जिम्मेदारी ज्यादा है।
Touphik Alam
Author: Touphik Alam

Leave a Comment

और पढ़ें

  • Buzz4 Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool