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लावालौंग प्रखंड के रिमी पंचायत के ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार किया। विरोध और नारेबाजी जारी


जागता झारखंड: बिनोद कुमार चतरा जिला ब्यूरो

चतरा/लावालौंग एक तरफ सरकार पूरे झारखंड में विकास की दावे करते फिर रहे वही ग्रामीण विकास के पोल खोल रहे।जिसमे लावालौंग प्रखंड क्षेत्र के कई गांव है,जो विकास से कोसों दूर है।जहां  रिमी गांव के ग्रामीण एक बार फिर विधान सभा चुनाव के ठीक पहले आचार संहिता लागू होने के साथ वोट बहिष्कार कर दिया है।प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जहां पर बिजली तो दूर की बात है गांव में बिजली की खंभा तक नहीं लगाया गया।जिसका जीता जागता उदाहरण लावालौंग प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत रिमी और सिलदाग पंचायत की कई गांव है।जो विकास के नाम पर मजाक बनकर रह गया है।यह गांव की स्थिति देखकर सरकार की सारे विकास की दावे की पोल खुलती नजर आती है।जबकि यह गांव लावालौंग प्रखंड मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के लोग आज भी ढिबरी और लालटेन के सहारा लेते हैं।यह गांव जंगलों और पहाड़ों से घिरी हुई सैकड़ो घरों की आबादी वाली है।जंगलों से घिरे होने और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ही शायद यहां पर प्रशासन पहुंचने की जहमत नहीं उठाते।यही कारण से शायद इस गांव में विकास नहीं हो पाया है।यहां के ग्रामीण बताते हैं कि इस विकास के दौर में भी हम लोगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाया है।सड़क बिजली जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाया है।एक तरफ देश अमृत महोत्सव मना रहा है तो दूसरी तरफ यहां के लोग आदिमानव की तरह जीने पर मजबूर हैं। आज भी इस गांव के लोग आवागमन के लिए पगडंडियों की सहारा लेते हैं।यहां की सड़क की स्थिति देखने से खुद समझ में नहीं आता है कि गड्ढा में सड़क है या फिर सड़क में गड्ढा है। यहां के ग्रामीणों ने यह भी बताया है कि हम लोगों ने बिजली के लिए कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं इसके बावजूद भी हम लोगों की फरियाद कोई नहीं सुनत।जब यहां के ग्रामीणों को तबियत खराब हो जाता है तो सड़क की स्थिति जर्जर होने के कारण यहां की कई लोगों ने जिला अस्पताल जाने से पहले ही अपना दम भी तोड़ चुके हैं।जब चुनाव आता है तो विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भोले भाले ग्रामीण के पास वोट मांगने के लिए आते हैं। और लगभग हम लोगों द्वारा सभी राजनीतिक दलों को मौका दिया जा चुका। लेकिन इसके बावजूद भी हम लोगों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगा।और यहां की ग्रामीण विकास के नाम पर मतदान भी करते हैं।लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद इसका शुद्ध लेने कोई नहीं पहुंचता है। इसलिए इस बार रिमी पंचायत के ग्रामीणों ने विकास नहीं होने की कारण वोटों बहिष्कार करने का निर्णय लिया। ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव में मडवा गांव के ग्रामीणों द्वारा वोट बहिष्कार किया गया था । जिसमें प्रखंड प्रशासन से लेकर जिला के कई अधिकारी तक को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।इसके बाद के विकास के आवशासन बाद मतदान शुरू हुआ था।

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