बीजीआर व डब्ल्यूबीपीडीसीएल कोल कंपनी को मिला फॉरेस्ट क्लीयरेंस अब 25 वर्षों तक नहीं होगी कोयले की कमी सरकार के राजस्व में होगा मुनाफा

अमर भगत जागता झारखंड पाकुड़।

अमड़ापाड़ा स्थित पचुवाड़ा नॉर्थ कोल ब्लॉक के आवंटी पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डब्ल्यूबीपीडीसीएल) को वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 1980 के तहत झारखंड सरकार द्वारा वन भूमि पर गैर वानिकी कार्य कोयला उत्खनन के लिए वन भूमि की यानी स्टेज-2 की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस बाबत मंगलवार को नॉर्थ कोल ब्लॉक के माइंस डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) बीजीआर कंपनी के कैंप कार्यालय में प्रेस वार्ता आयोजित कर जानकारी प्रदान की गई। डब्ल्यूबीपीडीसीएल के जीएम रामाशीष चटर्जी ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार द्वारा बीते 27 अक्टूबर को ही स्टेज-2 के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। इसके बाद कई तकनीकी मामलों का प्रतिवेदन समर्पित करने के बाद अंततः मंगलवार को डब्ल्यूबीपीडीसीएल तथा पचुवाड़ा नॉर्थ कोल ब्लॉक के लिए बहुप्रतीक्षित स्टेज-2 के लिए झारखंड सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई। रामाशीष चटर्जी ने बताया कि यह न सिर्फ डब्ल्यूबीपीडीसीएल के लिए बल्कि, पूरे जिले और देश के सामरिक दृष्टिकोण से खुशी की खबर है। उन्होंने बताया कि ऊर्जा का मुख्य स्रोत कोयला है और नॉर्थ कोल ब्लॉक के लिए स्टेज-2 क्लियरेंस नहीं आने से केवल रैयती जमीन पर कोयले का उत्खनन किया जा रहा था। जिससे कोयले के उत्खनन व संवर्धन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। स्टेज-2 क्लियरेंस हो जाने से आने वाले 25 वर्षों तक के लिए कोयले के आपूर्ति में कोई बाधा नहीं होगी। इसके लिए जीएम रामाशीष चटर्जी ने जिले के डीसी, डीएफओ, एसपी, एसी समेत जिले के तमाम अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।
सभी 10 गांवों के लिए मिला फॉरेस्ट क्लियरेंस
पचुवाड़ा नॉर्थ कोल ब्लॉक के अंतर्गत विशुनपुर, चिलगो, डांगापाड़ा, सकलमा, सिंगदेहरी, धमनीचुआं, बड़ा बांधकोय, चिरुडीह, लिट्टीपाड़ा व पचुवाड़ा गांव में कुल 1271 हेक्टेयर भूमि में से मौजूद कुल 371.07 हेक्टेयर वन भूमि पर गैर वानिकी कार्य हेतू फॉरेस्ट क्लियरेंस प्रदान किया गया है। इससे पूर्व एमडीओ कंपनी द्वारा केवल विशुनपुर व चिलगो गांव के रैयती भूमि पर ही कोयले का उत्खनन किया जा रहा था। फॉरेस्ट क्लियरेंस हो जाने से कंपनी अब बिना किसी बाधा के कोयले का उत्खनन कर सकेगी। गौरतलब है कि डब्ल्यूबीपीडीसीएल को प्रति वर्ष 15 मिलियन टन कोयले का उत्खनन करने की अनुमति प्राप्त थी जिसे बढ़ाकर अब प्रति वर्ष 22.5 मिलियन टन तक की अनुमति प्राप्त कर ली गई है। डब्ल्यूबीपीडीसीएल के मैनेजर नरेंद्र कुमार ने बताया कि पूरे देश में सर्वाधिक कोयला डब्ल्यूबीपीडीसीएल के अंतर्गत बकेश्वर पावर प्लांट में भेजा गया। प्रति वर्ष 22.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त होने पर पश्चिम बंगाल में स्थित पावर प्लांट्स में अधिकतर कोयले की आपूर्ति नॉर्थ कोल ब्लॉक से पूरी की जा सकेगी। इस मौके पर पीसीएमपीएल के वाइस प्रेसिडेंट वेंकटनारायन, देबाशीष चटर्जी, प्रदीप कुमार, पीआरओ संजय बेसरा मौजूद रहे।

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