हाथों में डिग्री है, वैकेंसी नहीं,पाकुड़ में पत्थर उद्योग है रोजगार नहीं, कोल माइंस की बड़ी-बड़ी कंपनियां है,रोजगार नहीं

पाकुड़ जिला के युवाओं के साथ रोजगार का वादा का क्या हुआ?

पाकुड़ जिला में बीड़ी उद्योग,पत्थर उद्योग,कोल माइंस, फिर भी है बेरोजगारी?

यासिर अराफ़ात ब्यूरो जागता झारखंड।
पाकुड़ : जिला में अगर आप रोजगार के स्रोत के बारे में विचार और मंथन करेंगे तो आपको लगेगा कि पाकुड़ जिला, जहां पर पत्थर उद्योग, कोयला उद्योग, बीड़ी उद्योग से भरमार है।उस स्थान पर रोजगार की स्थिति चरमरा गई है। हमारा पाकुड़ जिला इन तीन उद्योगों के कारण पहचाना जाता है। यू अगर कहा जाए कि पाकुड़ जिला पत्थर उद्योग तथा कोयला के लिए एक पहचान बना चुका है परंतु यह भी सत्य है कि पत्थर और कोयला ने यहां के युवाओं के रोजगार के साथ खिलवाड़ किया है।काफी दिनों से हमारे पाकुड़ जिला के पत्थर उद्योग में मानो किसी की नजर लग गई हो, सरकार की दबिश और कानूनी प्रक्रिया ने पत्थर उद्योग को डगमगा दिया है। दूसरे राज्य से आई हुई दो कोल माइंस की बड़ी कंपनियां हमारे पाकुड़ जिला में पैर पसार रखी है परंतु यह सोचनीय विषय है कि हमारे पाकुड़ जिला के लिए इन दो बड़ी कंपनियों ने यहां के युवाओं को रोजगार देने में कहां तक सफल है?पाकुड़ जिला में खनिज की भरमार है परंतु पाकुड़ जिला के खनिजों से दूसरे राज्य जगमगा रहे हैं, और पाकुड़ जिला अंधकार में जा रहा है। यहां के युवाओं के लिए पाकुड़ जिला के उद्योग कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं। एक तरफ जहां पाकुड़ जिला के कई युवा पढ़ाई लिखाई करके डिग्री अपनी जेब में लेकर घूम रहे हैं सिर्फ वैकेंसी की इंतजार में, परंतु सरकार इन युवाओं की डिग्री के लिए क्या कदम उठा रही है यह जग जाहिर है। जिला के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है तथा पाकुड़ जिला में युवाओं के हाथों में बी ऐड की डिग्री है फिर भी यहां के युवाओं को अपनी डिग्री को सिर्फ अपनी जेब में रखकर अपने दिल को तसल्ली देनी पड़ती है कि शायद आने वाले दिनों में स्कूलों में भर्ती के लिए कोई वैकेंसी निकले। रोजगार न रहने के कारण पाकुड़ जिला के कई युवा अंधकार में जा रहे हैं कई लोग गलत रास्ता भी अपना रहे हैं। निष्पक्षता के साथ अगर आप अपने दिल पर हाथ रख कर अपने आप से यह सवाल करें कि राज्य सरकार पाकुड़ जिला के युवाओं को रोजगार देने में सफल है? शायद हमारे हिसाब से आपको जो जवाब मिलेगा वह शून्य मिलेगा।हाथों में डिग्री है नौकरी नहीं, पाकुड़ जिला में पत्थर उद्योग है रोजगार नहीं, पाकुड़ जिला में बीड़ी उद्योग है रोजगार नहीं, पाकुड़ जिला में कोल माइंस की बड़ी-बड़ी कंपनियां है लेकिन रोजगार नहीं। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मंत्री आलमगीर आलम ने चुनावी सभा में रोजगार को लेकर यहां के युवाओं के साथ एक बड़ा वादा किया था, उन्होंने कहा था कि अगर हमारी सरकार झारखंड में बनती है तो सबसे पहले यहां के युवाओं के लिए रोजगार का प्रबंध किया जाएगा। हमारे पाकुड़ जिला में छोटी-छोटी फैक्ट्रियां होगी, रोजगार के लिए छोटा-छोटा कारखाना का निर्माण होगा, बाहर के लोगों को पाकुड़ जिला में बुलवाकर पाकुड़ शहर के अंदर इंडस्ट्री लगाई जाएगी जिससे यहां की युवाओं को रोजगार मिल सके। आखिर इन सब वादों का क्या हुआ?

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