तड़पती जनता का दर्द सुनने वाला है कोई?
यासिर अराफ़ात जागता झारखंड ब्यूरो चीफ पाकुड़
कभी-कभी हमारी सोच में आती है कि सरकार के बने हुए सिस्टम में सब कुछ सही से हो.. हमारे आसपास के सभी सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों जैसी पढ़ाई लिखाई हो…. सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट अस्पताल जैसी सुविधा हो, हर एक गांव में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो, बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सके, सरकार की द्वारा चल रही योजनाओं में कहीं पर किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार ना हो, 24 घंटा बिजली मिले पानी की समस्या ना हो, सही इलाज न पाने के कारण किसी की मौत ना हो, किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार से आने वाली योजना का लाभ सीधा किसानों को मिल सके, अंचल कार्यालय में किसी तरह का हमें काम पड़े उसके लिए सरल और आसान तरीके से हमारा काम हो जाए, चाहे वह म्यूटेशन दाखिल खारिज का मामला हो या कोई और आपका निजी काम हो, भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो जाए, महिलाओं पर कहीं कोई अत्याचार और जुल्म ना हो, सरकार का पूरा सिस्टम बेहतर ढंग से चलने लगे और सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधा सीधा आपको और हमको मिले तो मुझे लगता है उसे दिन हम अपने हिंदुस्तान और भारत को कह सकते हैं विश्व गुरु। पर क्या यह संभव है? यह एक बहुत बड़ा सवाल है जिसका जवाब शायद ही कोई दे सकता है, जो लोग नौकरी के लिए तड़प रहे हैं जिन लोगों के पास मोटी -मोटी और बड़ी-बड़ी डिग्रियां है बावजूद इसके उनको नौकरियां नहीं मिल रहे हैं, जरा एक बार सोच कर देखिए उन लोगों पर क्या बीत रही होगी। एक तरफ यह लोग तो दूसरी तरफ वैसे लोग जिनको सरकारी नौकरी मिल चुकी है कोई जूनियर इंजीनियर है तो कोई असिस्टेंट इंजीनियर है तो कोई रोजगार सेवक है तो कोई पंचायत सचिव है तो कोई बीडीओ है तो कोई बीपीओ है इनमें से बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो लोग सही ढंग से और ईमानदारी से काम करते हैं, इनमें से ऐसे लोग भी हैं जिनको सरकारी नौकरी तो मिली परंतु सरकारी नौकरी की तनख्वाह उनको हजम नहीं हो पा रही है। उन्हें और ज्यादा इनकम चाहिए और वह व्यक्ति गलत तरीके से अपनी सरकारी नौकरी के ओहदे का फायदा उठा रहा है। आखिर यह सिस्टम कब सुधार होगा, हम में से कई ऐसे लोग हैं जिनको लगता है कि काश कि हमें 10 से 15000 की नौकरी मिल जाए तो मेरा परिवार खुशहाल हो जाएगा। परंतु कुछ सरकारी नौकरी करने वाले कर्मियों को 10 20000 की नौकरी में अच्छा ही नहीं लगता उनको भ्रष्टाचार करने में मजा आता है उनको घोटाला करने में मजा आता है अपने पद का दुरुपयोग करने में मजा आता है। आखिर इस सिस्टम के खिलाफ आवाज कौन उठाये… जो आवाज उठाता है उसे धमकियां मिलती है… झूठे केस में फसाया जाता है और आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है। ऐसी स्थिति में एकमात्र अगर कोई विकल्प है तो वह सिर्फ जनता है, वह सिर्फ पब्लिक है, वह सिर्फ आप है, वह सिर्फ हम हैं। मेरे प्यारे पाठको, तीन बातों का हमेशा ध्यान रखें, इस देश में जब तक हमारे बच्चे एजुकेटेड शिक्षित नहीं होते, जब तक हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाएं सही नहीं होती , जब तक हमारे देश में बेरोजगारी खत्म नहीं होती तब तक हमारे आने वाली पीढ़ी कामयाबी की ओर हरगिज नहीं बढ़ सकती। इसीलिए यह तीन चीज शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार हमारे जीवन का मूल मंत्र होना चाहिए, तभी हमारा देश विकसित देशों में शुमार होगा और विश्व गुरु कहलायेगा। सोचिए और खुद ब खुद जवाब दीजिएआखिर कब सुधरेगा सिस्टम? कब मिलेगा बेरोजगारों को रोजगार? आखिर कब मिलेगी हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा?तड़पती जनता का दर्द सुनने वाला है कोई?
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