राजनीतिक दलों की गाथा

डॉ कृपा शंकर अवस्थी सम्पादक :जागता झारखण्ड

देश मे इस समय तकरीबन 6 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टियां है, प्रदेश स्तर की 54 तो 2597 गैरमान्यता प्राप्त पार्टियां हैं.हद यह कि इनमें से कई पार्टियां जाति के नाम पर बनी हैं, तो कई क्षेत्र, सम्प्रदाय, भाषा और अपने महान नायकों के नाम पर हैं. अधिकांश के पास अपनी कोई अर्थनीति नहीं है जो उनकी सोच या दृष्टि को दर्शाती हो.जब पार्टियां ही क्षेत्र, समुदाय,आधारित सोच रखती हों तो इनके भरोसे देश कितना तरक्की कर सकता है.कई दलों के नेता किसी न किसी अन्य दलों के नेताओं से घूमघूम मिलते रहते हैं, कई आयाराम, गयाराम नेता भी हैं, कोई आज कहेगा हम चट्टानी एकता के साथ तो पता चला अगली सुबह किसी और के साथ खडे हैं. ऎसा मंजर भी दिखा जो आज शाम इस मंत्रिमंडल में तो अगले दिन धुर विरोधी दल के मंत्री परिषद में गलबहियाँ कर शपथ ले रहे हैं. एक समय चौधरी चरण सिंह पुरानी सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को हराकर सीएम बने हुए थे, अविश्वास प्रस्ताव के दिन समुचे मंत्रिमण्डल के साथ सत्ता से बेदखल अपने विरोधी कांग्रेस के साथ शपथग्रहण कर रहे थे,क़भी ये प्रधान मंत्री भी बने थे, ऐन विश्वास प्रस्ताव के दिन आवास पर ताश खेलने में मशगूल थे, ये दल बदलू लोग कहा करते हैं,जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऎसा निर्णय लेना पड़ा. कोई प्रदेश के विकास के लिए दल बदल कर रहे तो कोई सम्मान नहीं मिला, इसलिए घोर भ्र्स्ट के साथ जा मिले.आज के कोई नेता सीएम, पीएम के नीचे खुद को नहीं गिनना चाहते, कुछ तो ऐसे प्रदेश के सर्वे सर्वा रहते हुए खुद को पीएम बनाने के लिए जगह जगह घूम रहे हैं,कुछ नेता खुद को पीएम समझते, समझते, मार्ग दर्शक मंडल में भंडारित हो गए. उनकी लाचारी है कि बिना राजनीति किये उनकी सांसे अवरुद्ध हो जाति हैं, कुछ तो रोज इस नेता उस नेता को उत्तम सलाह सप्लाई करने को आतुर देखे जाते हैं,कोई संसद पहुंच विशुद्ध सौदेबाजी में दागदार हो चुके हैं, प्रदेश की कमान हाथों में आते ही वे अच्छी खासी सम्पति के मालिक बने बैठते हैं और दूसरों को ईमानदारी का पाठ भी वही पढ़ा रहे होते हैं. समझ नहीं आता ऐसे नेताओं के हाथ कितने लम्बे हैं, सजायाफ्ता होते हुए भी विदेश जाकर किडनी बदलवाने का मौका पाकर समुद्र के किनारे टहलते हुए फोटो खींचा रहे होते हैं,कई हजार करोड़ रू का घोटाला इनके लिए बहुत सहज है, आश्चर्य तब होता है जब वर्षो की मसक्क्त के बाद इन्हें सजा होती है या जेल जाने लगते हैं, सर्वथा आसान बीमारी हृदय दर्द ऐन उसी वक्त उन्हें होने लगता है. कुछ तो गाजे बाजे, फूल माला लादे जेल ऐसे जा रहे होते हैं जैसे दूल्हे बन बारात में जा रहे हों. न्यायतंत्र पर इतना कॉन्फिडेंस जैसे संगीन अपराध में जेल जाते ही अगले दिन पिकनिक मना लौट आएँगे.इस अति आत्मविश्वास की उनकी हेंकड़ी तब धरातल पर आती देखती है,जब बाहर आने को जमानत के लिए अनेकों तिकडम लगाते देखे जाते हैं, कोई 17 में से 14 गंभीर बीमारी का डॉक्टरी सर्टिफिकेट जेब में डाले, जमानत के दो चार दिन पहले से दस दस दुशाला ओढ़े हूँ,, हू करते मिलते हैं, किसी की बेटी रोजा, उपवास करती है तो कोई शख्स बाथरूम में गिरे पड़े मिलते हैं,कोई इलाज के लिए 35 किलो वजन घटा अस्पताल पहुँच गए,किन्ही की पत्नी इतनी बीमार कि उन्हें दो चार घण्टे बाहर रहने कि आजादी मिल गई, भले इसबीच पत्नी से मिले बिना जेल वापस आ गए,उनकी पत्नी जो गंभीर बीमार थीं वो भी अगले दो दिन बाद खुद उच्छलते उनसे आकर लिपट जाती है,एक कानूनविद नेता तो हर हिकमत लगाकर जब थक गए तब लगभग सौ दिन बाद बाहर आए फिर भी खुद को अबतक ईमानदार साबित कर रहे हैं. एक महिला नेता ने छापे में मिले अवैध सम्पति के बारे में बताया,ये पैसे उसने गोईठा और दूध बेच जमा किए हैं ,गोया इनकी गौएँ बिना चारा खाए दूध और गोबर दें रही थीं.गमले में करोड़ों के गोभी उगाने वाले तो छत पर अरबों की सब्जी उपजाने का हुनर इन नेताओं के पास बहुत है,इनके बाल बच्चे कई कम्पनियों के मालिक बनने की योग्यता रखते हैं, और जैसे ही मौका मिलता है जात पात भाषा, धर्म के माध्यम से क्षत्रप बन जनता की सेवा करने आ जाते हैं. सवाल है जब इनकी पार्टी की कोई आर्थिक नीति नहीँ तो ये नेता महज चंद वर्षों में अरब और,खरबपति किस जादू से बन जाते है.ऎसा जादू, ऎसा चमत्कार जबतक ये नेता करेंगे हम जात पात,वंशवाद,दंगे,फ़साद से कबतक बचे सकते हैं, इतने बड़े बड़े जादूगरों के सममोहन में जबतक हम पड़े हैं, रोज लव जिहाद,रोज पाकिस्तान, श्रीलंका, वेनुज्वाल, हैप्पी इंडेक्स झेलेंगे, ऐसे में क्या गरीबी, मंहगाई,बेरोजगारी दूर करने का इनके पास कोई फार्मूला या जादू है.देश कबतक लाठी में तेल पिलाने से बचा रह सकता है।

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