दिल्ली सरकार का पर कतरने वाला दिल्ली सर्विस बिल हुआ दोनो सदनों से पास ..!
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पेश किया। 3 अगस्त को लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है। राज्यसभा में सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया। ऑटोमैटिक वोटिंग मशीन खराब होने के कारण पर्ची से वोटिंग कराई गई। पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट डले। बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा! दिनभर की बहस के बाद गृह मंत्री अमित शाह जवाब देने आए तो उन्होंने विपक्ष को चैलेंज दिया कि इस बिल को गिराकर दिखाओ। उन्होंने कहा- 8 से 10 अगस्त तक लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है, इसलिए विपक्ष मणिपुर पर 11 अगस्त को चर्चा करे! राज्यसभा में बिल पास होने के तुरंत बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि संसद में अमित शाह ने कहा कि हमारे पास कानून पास करने की शक्ति है। आपको लोगों के लिए काम करने की शक्ति दी गई है, उनके अधिकार छीनने की नहीं।राज्यसभा में दिल्ली सर्विसेज बिल पर चर्चा के दौरान अपना पक्ष रखते कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह बिल गैर जरूरी है। राज्यसभा में दिल्ली सर्विसेज बिल पर चर्चा के दौरान अपना पक्ष रखते कांग्रेस सांसद और विरोधी दल नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और संसद दिग्विजय सिंह ने बिल के विरोध में अपमान तर्क दिया । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल पूर्व की तरह प्रधानमंत्रियों की सदस्यता बचाने नहीं लाए।आपातकाल लगाने नहीं लाए। कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं है। आपने देश को आपातकाल दी थी। आप का जन्म कांग्रेस को गाली देकर हुआ है । शाह ने कहा कि “खड़गे साहब आप जिस गठबंधन को बचाने के लिए इस बिल का विरोध कर रहे हैं, सदन से पास होने के बाद केजरीवाल साहब इंडिया मोर्चा से मुंह मोड़ लेंगे और बाय बाय कह देंगे!
कांग्रेस नेताओं को पता है कि अकेले कुछ होने वाला नहीं है। इसलिए गठबंधन बना लिया है। केरल में कांग्रेस और लेफ्ट एक दूसरे के खिलाफ है, लेकिन गठबंधन में ईलू-ईलू कर रहे हैं। अमित शाह ने तृणमूल नेताओं को कहा की इस पार्टी का जन्म ही लेफ्ट के विरोध में हुआ, लेकिन वे भी साथ हैं। 4-5 दल और जोड़ लें, फिर भी 24 मई 2024 को नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे और आप लोग हाथ मलते रहेंगे! शाह ने कहा की ” दिल्ली में मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। किसी को केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाए रखने में दिक्कत नहीं हुई। लेकिन एक आंदोलन से बनी आम आदमी पार्टी की सरकार को इससे दिक्कत आने लगी! पूरे देश में दिल्ली विधानसभा एकमात्र ऐसी विधानसभा है, जिसका सत्र का कभी समापन ही नहीं हुआ। स्पीकर जब चाहे राजनीतिक भाषणों के लिए सत्र बुला लेते हैं। 2020 से अब तक बजट सत्र के नाम पर ही दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाया गया। हमारी पार्टी का जन्म 1950 में हुआ था, इसलिए हमारी पार्टी आजादी की लड़ाई में नहीं थी। ” अमित शाह ने कहा ” हमारी पार्टी के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी की लड़ाई में शामिल थे। उनकी वजह से ही बंगाल और कश्मीर आज भारत में हैं। खडगे की ओर देख कर कहा ” आप कहते हैं कि हमें नागपुर से इशारा आता है। नागपुर भारत में ही है। आपको तो रूस और चीन से इशारा आता है। बिल का उद्देश्य भ्रष्टाचार-विहीन शासन करना है। दिल्ली की सुरक्षा के लिए यह बिल लाया गया है। दिल्ली का चुनाव लड़ने वालों को ये समझना चाहिए कि दिल्ली यूनियन टेरिटरी है।मैं मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हूं। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। विपक्ष ही है, जिनके पास छिपाने के लिए कुछ है। आप चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। अगर खड़गे जी 11 अगस्त को चर्चा के लिए हां कहते हैं, तो मैं भी इसके लिए तैयार हूं। राज्यसभा में दिल्ली सर्विसेज बिल पर चर्चा के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे की बात पर अमित शाह मुस्करा दिए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस सांसद डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने चर्चा की शुरुआत की , बोले- ” ये बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है । इसके कानून बनने से मुख्यमंत्री दो सचिवों के नीचे आएगा यानी सचिव फैसला करेगा और मुख्यमंत्री देखेगा। सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुख सुपर सीएम यानी गृह मंत्रालय से ही बनाए जाएंगे।भाजपा ने 1989, 1999 और 2013 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। आज भाजपा के पास मौका है, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिए। राघव बोले गृहमंत्री अमित शाह कह रहे थे कि पंडित नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। मैं उन्हें बता दूं कि लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संसद में बिल लेकर आए थे ।अटल जी, आडवाणी जी, सुषमा स्वराज और मदन लाल खुराना ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया था। आप ये बिल लाकर उनके संघर्ष का अपमान कर रहे हैं क्योंकि ये बिल एक संवैधानिक पाप है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश के जरिए पलटकर भाजपा ने मैसेज दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानते! केजरीवाल ने कहा कि ” मैं जो भी करता हूं दिल्ली की जनता उसमें मेरा समर्थन करती है और उन्होंने मुझे चुनाव में जीत दिलाकर अपना समर्थन दिखाया है। भाजपा सिर्फ हमारे अच्छे काम को रोकने की कोशिश कर रही है। वे विकास कार्य में बाधा डाल रहे हैं। वे मुझे काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार जनता उन्हें कोई भी सीट नहीं जीतने देगी। इस बिल के तहत सफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया। दिल्ली सर्विस बिल इसी अध्यादेश की जगह लेगा! 3 अगस्त को लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर अमित शाह ने कहा कि 2015 में दिल्ली में जिस दल की सरकार आई, उसका मकसद सेवा करना नहीं, झगड़ा करना था। केंद्र ने केजरीवाल के साथ फिर खेल कर दिया: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले बिल में बदलाव, नए नियम बनाने का उद्द्येश्य है की दिल्ली का पूरा प्रशासन अब उप राज्यपाल के जरिए केंद्रीय गृह मंत्री और प्रधान मंत्री के पास प्रशासन पर पूरा नियंत्रण रहेगा! केंद्र सरकार ने दिल्ली सर्विस ऑर्डिनेंस बिल में क्या बदलाव किए हैं। इससे दिल्ली सरकार की भी ताकत बढ़ जाती है और दिल्ली विधानसभा को कानून बनाने की अनुमति देने वाला सेक्शन 3ए हटाया गया है!
_ पंकज कुमार मिश्रा, शिक्षक एवं पत्रकार , प्रभारी संपादक जागता झारखंड यूपी
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