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महासभा ने वित्त मंत्री से मॉब लिंचिंग पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग


जागता झारखंड नगर संवादाता



राँची::झारखंड जनाधिकार महासभा का प्रतिनिधिमंडल राज्य के वित्त मंत्री रमेश्वर उरांव से मिलकर राज्य में पिछले 10 सालों में हुए मॉब लिंचिंग के मामलों पर चर्चा किया. महासभा से जुड़े यूनाइटेड मिली फोरम के जेनेरल सेक्रेटरी अफज़ल अनीस, जो लगातार राज्य के सभी मामलों के तथ्यान्वेषण, मामलों का फोलोअप व परिवारों को सहयोग करने में संघर्षरत रहे हैं, मंत्री को मामले की विस्तृत जानकारी दी गई

हाल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम में लिंचिंग के कई पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा दिया
इस कदम से न केवल पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद मिली है, बल्कि समाज में एक संदेश भी गया है कि सरकार इस तरह की हिंसा के खिलाफ है. लेकिन मीडिया में उपलब्ध पीड़ित परिवारों के नाम में पिछले 10 साल के अनेक लिंचिंग पीड़ितों का नाम नहीं है.
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से 2016 से अब तक के 32 पीड़ितों की सूचि साझा की जिन्हें मुआवज़ा मिलना चाहिए. मंत्री को बताया गया कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के विषय में इनमें से अधिकांश परिवारो के सदस्यों को पता भी नहीं था. मंत्री ने आश्वासन दिया कि इन्हें भी मुआवज़ा दिया जायेगा.

इन 32 लिंचिंग पीड़ितों के मामले में अधिकांश, खास कर के 2016-19 के दौरान धर्म या गाय से जुड़े मामले थे. इनमें अनेक परिवारों के सदस्य, जिन्हें आज तक मुआवज़ा नहीं मिला है, जो आर्थिक तंगी और बीमारी से जूझ रहे हैं अफज़ल अनीस ने मंत्री से कई उदाहरण साझा किया. पूर्वी सिंहभुम में भीड़ द्वारा मारे गए शेख नईम की 12 वर्ष की पुत्री मिस्बाह परवीन को थैलीसिमिया की बीमारी है उसे हर पंद्रह दिन में नियमित रूप से ब्लड चढ़ाने की जरूरत है, बालूमाथ (लातेहार) में मोब लिंचिंग में मारे गए मजलूम अंसारी की पत्नी सायरा बीबी का रीढ़ की हड्डियों का इलाज चल रहा है और वर्तमान में उसकी बेटी तबस्सुम परवीन पीलिया और दूसरी बीमारी से लड़ रही है वहीं गढ़वा में मोब लिंचिंग में मारे गए रमेश मिंज की 13 साल की बेटी नेहा मिंज की आंखों में गंभीर समस्या है डाक्टरों ने सलाह दी है कि बच्ची को एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ले जाकर दिखाएँ। अगर जल्दी नहीं दिखाया गया तो तो उनकी दृष्टि पूरी तरह से खराब हो सकती है। स्व. रमेश मिंज की पत्नी अनीता मिंज रेज़ा कुली में काम करती है उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह दिल्ली ले जाकर अपनी बच्ची का ईलाज कराये। झारखंड में मॉब लिंचिंग के ऐसे कई परिवारों को सहायता की आवश्यकता है

प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री से मांग किया  तुरंत इन सभी परिवारों को पर्याप्त मुआवज़ा दिया जाये. यूनाइटेड मिली फोरम व झारखंड जनाधिकार महासभा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपेक्षा करते हैं कि चुनाव के पहले सरकार इस और कार्यवाई करेगी !

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