मीठी गजलो और ढेर सारी यादें छोड़ गए पंकज उधास


जागता झारखण्ड ब्यूरो यूपी

मुंबई फ़िल्मसिटी ब्यूरो ! सिनेमा इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। फिल्म इंडस्ट्री से दिग्गज गजल गायक पंकज उधास का 26 फरवरी को निधन हो गया। उन्होंने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। सूत्रों के मुताबिक वह पिछले कई दिनों से बीमार थे। बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई। कुछ महीने पहले उन्हें कैंसर का पता चला था और वह किसी से नहीं मिल रहे थे। उनके निधन को लेकर उनके परिवार की ओर से बयान जारी किया गया है। इसमें उन्होंने लिखा बहुत भारी मन से हमें आपको यह बताते हुए दुख हो रहा है कि पद्मश्री पंकज उधास का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। हमारे संवाददाता से बातचीत करते हुए जौनपुर के मिडिया विश्लेषक और पत्रकार पंकज कुमार मिश्रा नें पंकज उधास को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात में हुआ। भारतीय संगीत उद्योग में उनको तलत अजीज़ और जगजीत सिंह जैसे अन्य संगीतकारों के साथ इस शैली को लोकप्रिय संगीत के दायरे में लाने का श्रेय दिया जाता है। उधास को फिल्म नाम में गायकी से प्रसिद्धि मिली, जिसमें उनका एक गीत चिठ्ठी आई है काफी लोकप्रिय हुआ था। पंकज उधास का जन्म गुजरात में राजकोट के पास चारखड़ी-जैतपुर में एक ज़मींदार चारण परिवार में हुआ था। वे तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता का नाम केशूभाई उधास और माँ का नाम जीतूबेन उधास है। उनके सबसे बड़े भाई मनहर उधास ने बॉलीवुड में हिंदी पार्श्व गायक के रूप में सफलता प्राप्त की थी। उनके दूसरे बड़े भाई निर्मल उधास भी एक प्रसिद्ध गज़ल गायक हैं और तीनों भाइयों में से सबसे पहले गायिकी का काम उन्होंने ने ही शुरू किया था। उन्होंने सर बीपीटीआई भावनगर से शिक्षा प्राप्त की थी। उसके बाद उनका परिवार मुम्बई आ गया और पंकज ने वहाँ के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ाई की।उसके बाद से उन्होंने कई फिल्मों के लिए एक पार्श्व गायक के रूप में अपनी आवाज दी है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई एल्बम भी रिकॉर्ड किये हैं और एक कुशल गज़ल गायक के रूप में पूरी दुनिया में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। २००६ में पंकज उधास को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पंकज की मौत से कई लोगों को सदमा लगा है। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कल सुबह 11 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निधन हो गया। सिनेमा और संगीत में उनका करियर बहुत लंबा रहा. उनकी ग़ज़लें, उनके कई गाने फैंस के बीच बेहद लोकप्रिय थे। उनके गाने ‘चिट्ठी आई है’ ने कई लोगों की आंखों में आंसू ला दिए। ना कजारे की धार, ‘चांदी जैसा रंग’, ‘एक तरफा उसका घर’, ‘मैं नशे में हूं’, ‘मैं पिता नहीं हूं’ जैसे उनके कई गाने दर्शकों के बीच लोकप्रिय रहे। उन्हें 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। गायक का अंतिम संस्कार मंगलवार 27 फरवरी को किया जाएगा।

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