जागता झारखंड संवाददाता पाकुड़: झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था आज गंभीर संकट से जूझ रही है। राज्य भर में निजी नर्सिंग होम्स की बेतहाशा वृद्धि आम जनता के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। निजी चिकित्सा संस्थानों में अनावश्यक जाँचें, महँगी दवाएँ और भारी-भरकम बिल मरीज़ों को आर्थिक रूप से तोड़ रहे हैं। मानवीय सेवा की जगह मुनाफाखोरी ने ले ली है। दूसरी ओर, सरकारी अस्पतालों में भी हालात बेहतर नहीं हैं। यहाँ बिचौलियों का सक्रिय जाल मरीज़ों को अस्पताल की मौजूद सुविधाओं के बावजूद निजी लैब और दवा दुकानों की ओर धकेलता है। इससे न सिर्फ़ स्वास्थ्य सेवा की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं, बल्कि सरकारी संस्थानों पर भरोसा भी कम होता जा रहा है। इस स्थिति से उबरने के लिए सामाजिक जागरूकता और सरकारी सख़्ती दोनों आवश्यक हैं। नागरिकों