
जागता झारखण्ड संवादाता: सूत्रो से पाकुड़ जिले में इन दिनों नकली UPI (यूपीआई) ऐप्स के जरिए ठगी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। ठग दुकानदारों के बारकोड (QR Code) को स्कैन कर नकली यूपीआई ऐप से फर्जी “पेमेंट सफल” स्क्रीन दिखा देते हैं, जिससे दुकानदार को लगता है कि पैसा आ गया है, जबकि असल में उनके खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं होते। नॉन-टेक्सावि व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।
सूत्रो से हाल की घटनाएँ:
• बिजली ऑफिस के पास ठगों ने QR कोड स्कैन कर 14,000 रुपए की ठगी की।• गाँधी चौक स्थित एक गिफ्ट दुकान से 2,000 रुपए, दूसरी दुकान से 13,000 रुपए और एक अन्य दुकान से 500 रुपए इसी तरीके से ठगे गए।• नकली UPI ऐप से पैसा भेजा गया दिखाया, दुकानदार को बैंक में पैसा आने का इंतजार ही रह गया।
कैसे होता है यह फर्जीवाड़ा?
• ठग Modified (संशोधित) या नकली ऐप इंस्टॉल कर लेते हैं, जो दिखने में असल GPay, PhonePe या Paytm जैसे लगते हैं।• दुकान पर QR कोड स्कैन करने के बाद तुरंत नकली ‘पेमेंट सफल’स्क्रीन या फर्जी SMS/नोटिफिकेशन दिखा देते हैं, जिससे दुकानदार भरोसा कर लेता है।• कई बार दुकानदार वास्तविक ट्रांजेक्शन चेक नहीं करते और सामान/कैश दे देते हैं और बाद में पता चलता है कि पेमेंट हुआ ही नहीं।
चेम्बर, व्यापार संघ और युवा वर्ग के लिए सुझाव:
• व्यापार मंडल और प्रशासन को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।• दुकानदारों को जागरूक किया जाए कि सिर्फ ग्राहकों के मोबाइल स्क्रीन पर दिखाए गए पेमेंट को न मानें।• हमेशा अपने UPI ऐप या बैंक खाते में पैसे क्रेडिट होने का पुष्टिकरण पाने के बाद ही सामान/सेवा दें।• युवा पीढ़ी को चाहिए कि इस तरह के नकली ऐप्स का इस्तेमाल न करें, न तो खुद न दूसरों को करें।*रोकथाम के उपाय:*• कोई भी पेमेंट सफल होने के बाद सिर्फ स्क्रीन देखकर संतुष्ट न हों, अपने ऐप/बैंक से नोटिफिकेशन या संदेश जरूर जांचें।• UPI ट्रांजेक्शन के लिए हमेशा साउंड/अलर्ट नोटिफिकेशन ऑन रखें।• अज्ञात या अनधिकृत ऐप्स का लिंक किसी भी माध्यम (टेलीग्राम, सोशल मीडिया) से डाउनलोड बिल्कुल न करें।• अगर कभी संदेह हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें
