गुमला। मात्र 3 महीने में अरबी भाषा मे अवतरित पवित्र ग्रंथ कुरान को कंठस्थ करना आसान काम नहीं फिर भी हाफिज मोहम्मद अब्दुल मजीद द्वारा किया जाना मदरसा के लिए तथा गांव के लिए भी शुभ संकेत कहीं जा सकती है हाफिज की उपाधि हासिल करने के बाद अब्दुल मजीद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर मन में लगन हो तो कुछ भी किया जा सकता है ऐसे वक्त में मैं अपने माता पिता तथा अपने गुरुजनों के सहयोग के बिना ही इतने कम समय में कुरान को कंटेंट किया हूं और मैं ऐसे वक्त में भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना कासिम नानोतवी साहब के बताए हुए रास्ता पर चलूंगा और उच्च से उच्च शिक्षा ग्रहण करूंगा कुरान के साथ ही साथ अन्य भाषा जिसमें फिलासफी, साइकोलॉजी, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी भाषा कभी गहरा अध्ययन करने का प्रयास करूंगा।