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माहे रमजान आने की खुशी तो अब रुखसती का गम : आफताब आलम

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जागता झारखंड ब्यूरो चीफ मीर उबैद उल्लाह लोहरदगा मुस्लिम धर्मालंबियों मे रमजान के इस समय कहीं खुशी तो कहीं गम देखने को मिल रहा है दरअसल बात यह है कि माहे रमजान मे पंद्रह रोजा के बाद एक तरफ ईद आने की खुशी है तो दूसरी तरफ माहे रमजान मुबारक रुखसत होने का गम जो रोजेदारों के चेहरे पर देखने को मिल रहा है मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि इस मुबारक महीना नसीब वालों को मिलती है गम इस बात की है कि अब एक वर्ष अगर जिंदगी रही तो दुबारा रमजान मिलेगी वरना नही बहुत से लोग पिछले रमजान में जिंदा थे लेकिन आज रमजान मे नही हैं। लोग दुनिया छोड़ गए वहीं पर भंडरा प्रखंड के सदर आफताब आलम का कहना है कि सभी लोग मिलजुल कर खुशियां बांट रहे हैं और आने वाला ईद त्यौहार का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है जगह-जगह पर मस्जिद मे कुराने पाक की तिलावत कर नमाजे तरावीह अदा की जा रही है अधिकतर जगहों पर एक कुरान पाक मुकम्मल पढ़ लिया गया है कई मस्जिदों मे आने वाला सत्ताईसवीं रमजान को मुकम्मल खत्म तरावीह किया जाएगा इस बरकत वाला महीना को दस दस दिन का तीन हिस्सों मे बांटा गया है जिसमें पहला हिस्सा रहमत दूसरी हिस्सा बरकत और तीसरी हिस्सा मगफीरत का माना जाता है लगभग रमजान दो हिस्सा खत्म होने वाली है पूरे रमजान के महीना सेहरी व अफतार मे रोजेदारों के द्वारा देश दुनिया के लिए अमन शांति की खूब दुआएं मांगी जा रही है रमजान के महीना में एक नेकी के बदले सत्तर नेकीयां मिलती है जिसके वजह से लोग अपने माल व दौलत को जरूरतमंदों के बीच खुब लूटाते हैं रमजान ऐसा त्यौहार है जिसमें अपने घर के साथ-साथ पास पड़ोस टोला मोहल्ला के जरूरतमंद लोगों पर खास नजर रखकर बढ़ चढ़कर मदद की जाती है आजकल शहरों में ईद की खरीदारी को लेकर काफी भीड़ भार देखी जा रही है छोटे-छोटे बच्चे काफी खुश नजर आ रहे हैं ईद की तैयारी जोरों शोर से हो रही है आगे चांद के हिसाब से ईद मनाया जाएगा।

Jagta Jharkhand
Author: Jagta Jharkhand

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