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हुसैन जैसा शहीदे आज़म जहां में कोई हुआ नहीं है,छुरी के नीचे गला है लेकिन किसी से कोई गिला नहीं है – कादरी

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रज़ा -ए- मुस्तफा मुहर्रम कमिटी ने किया 10 रोज़ा जिक्रे शहिदाने कर्बला का आयोजन

मो.ओबैदुल्लाह शम्सी जागता झारखंड संवाददाता गिरिडीह : सैयदना हज़रत इमाम हुसैन आली मकाम ने अपने नाना का दीन बचाने के लिए कर्बला में पूरे खानदान की कुर्बानी दे दी लेकिन यजीद के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया। हज़रत इमाम हुसैन सब्र और हिम्मत का अनोखा मिसाल हैं।कर्बला के 72 शोहदा आज दुनियां भर के करोड़ों हुसैनियों के दिलों में जिंदा हैं और कल क़यामत तक जिंदा रहेंगे जबकि यजीद और उसका हजारों का लश्कर मर कर मिट्टी में मिल गया जिसका नाम लेने वाला भी आज कोई नहीं है।हज़रत अल्लामा मौलाना अख्लाकुल कादरी ‘चतुर्वेदी’ शेरे बंगाल पिछले 1 मुहर्रम से लगातार कर्बला और इसकी तारीख पर तकरीर पेश कर रहे हैं और इसी सिलसिले में कल मुहर्रम के 9वीं तारीख को उन्होंने शानदार तकरीर पेश करते हुए महफ़िल में मौजूद सैंकड़ों लोगों को मौला अली और हसन -व-हुसैनी जज़्बात से सराबोर कर दिया।उनकी तकरीर के दौरान कमिटी के नौजवान लगातार या अली,या हसन,या हुसैन, इस्लाम जिंदाबाद जैसे नारे बुलंद करते रहे।जामा मस्जिद अनुपपुर रजा़-ए- मुस्तफा मुहर्रम कमिटी के सदर शैख लियाकत और इमाम मौलाना सलमान रज़ा ने कहा कि मुहर्रम को लेकर अंजुमन कमिटी ने इस बार ख़ास तौर पर तैयारियां की थीं। साफ-सफाई, लाइट्स और सजावट का भी विशेष ध्यान रखा गया था। हज़रत अल्लामा मौलाना अख्लाकुल कादरी ‘चतुर्वेदी’ साहब की तकरीर ने ख़ास समा बांधा। पूरे आयोजन में रज़ा -ए- मुस्तफा मुहर्रम कमिटी और इसके सभी सदस्यों का अहम रोल रहा। खास तौर पर सदर शैख लियाकत,पुर्व सदर शैख सलीम,सकलैन, इज़हार, जावेद, रिजवान, सद्दाम, मौलाना सलमान रज़ा, नात ख़ां मौलवी मंसूर, अज़हर,अकबर,जी़शान, अर्श,असलम आदि के योगदान रहे।

Jagta Jharkhand
Author: Jagta Jharkhand

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